RBI Guideline Loan EMI Relief RBI के फैसले से मिली बड़ी राहत, सभी बैकों को जारी हुए निर्देश
RBI Guideline Loan EMI Relief नमस्कार साथियों : RBI ने हाल ही में लोन की EMI भुगतान न कर पाने वालों के लिए कुछ राहत की घोषणाएं की हैं। आजकल कई लोग विभिन्न कारणों से बैंक से लोन लेते हैं, लेकिन कभी-कभी आर्थिक परिस्थितियों के कारण समय पर ईएमआई का भुगतान नहीं कर पाते।अगर किसी ग्राहक के पास अपने लोन की EMI भरने की क्षमता नहीं है या वे किसी वित्तीय परेशानी में हैं, तो RBI ने बैंकों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे मामलों में ग्राहकों को लचीले विकल्प प्रदान करें।
आरबीआई के नए नियमों का मुख्य उद्देश्य :
RBI के नए नियमों का मुख्य उद्देश्य ग्राहकों को आर्थिक संकट के समय में राहत प्रदान करना है। इन नियमों के जरिए RBI का उद्देश्य है कि बैंक और वित्तीय संस्थान ग्राहकों को लोन चुकाने में अधिक लचीलापन दें, ताकि ग्राहकों पर वित्तीय बोझ कम हो कठिन आर्थिक परिस्थितियों में लोगों पर EMI भुगतान का दबाव कम हो, जिससे उन्हें अस्थायी राहत मिल सके।
पेनल्टी के नए नियम :
1. अत्यधिक पेनल्टी पर रोक – बैंक ग्राहकों से अत्यधिक पेनल्टी नहीं वसूल सकते हैं। जुर्माने की राशि केवल ग्राहक की वास्तविक देरी या डिफॉल्ट के कारण होनी चाहिए, और इसे अनुचित तरीके से बढ़ाया नहीं जा सकता।
2. पेनल्टी को ब्याज में न बदलें – पेनल्टी को ब्याज की तरह नहीं देखा जा सकता। इसका मतलब यह है कि बैंक पेनल्टी के नाम पर अतिरिक्त ब्याज नहीं जोड़ सकते, जो ग्राहकों पर आर्थिक दबाव को और बढ़ा सकता है।
3. ट्रांसपेरेंसी – ग्राहकों को पेनल्टी की जानकारी पूरी तरह से स्पष्ट और पारदर्शी रूप से दी जानी चाहिए। ग्राहकों को पहले ही सभी शर्तों और पेनल्टी के नियमों के बारे में अवगत कराना आवश्यक है ताकि बाद में कोई भ्रम न हो।
4. लेट-फीस की माफी की सुविधा – यदि कोई ग्राहक पहली बार देरी कर रहा है या उसके पास भुगतान में देरी का वैध कारण है, तो बैंक को उस पर पेनल्टी माफ करने का अधिकार देना, जिससे ग्राहक का क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक असर न हो।
5. छोटी देरी के लिए पेनल्टी में राहत – अगर ग्राहक कुछ दिनों के अंदर भुगतान कर देता है, तो पेनल्टी में छूट दी जा सकती है।
6. सभी प्रकार के लोन पर लागू – ये नियम सभी प्रकार के लोन जैसे होम लोन, पर्सनल लोन, वाहन लोन और क्रेडिट कार्ड पर भी लागू होते हैं।
किन संस्थाओं पर लागू होंगे नए नियम :
- सभी वाणिज्यिक बैंक
- सहकारी बैंक
- एनबीएफसी कंपनियां
- नाबार्ड
- हाउसिंग फाइनेंस कंपनियां
- एनएचबी
- एक्जिम बैंक
- सिडबी
- एनएबीएफआईडी
- अन्य अखिल भारतीय वित्तीय संस्थान
कहां लागू नहीं होंगे नए नियम :
1. गैर-वित्तीय संस्थान (Non-Financial Institutions) – ये नियम केवल बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर लागू होते हैं। गैर-वित्तीय संस्थान, जैसे कि बीमा कंपनियां, व्यापारिक कंपनियां, और अन्य सेवाप्रदाता, इसके दायरे में नहीं आते।
2. शैक्षिक संस्थान और शिक्षण ऋण (Educational Institutions and Student Loans) – यदि किसी शैक्षिक संस्थान द्वारा सीधे वित्तीय सहायता दी जा रही है तो उन पर यह नियम लागू नहीं होंगे। लेकिन बैंक द्वारा दिए गए छात्र ऋण पर ये लागू होंगे।
3. व्यक्तिगत उधारी (Informal or Private Lending) – व्यक्तिगत तौर पर या गैर-पंजीकृत संस्थानों द्वारा दिए गए कर्ज पर RBI के ये नियम लागू नहीं होते हैं।
4. चिट फंड और अनधिकृत वित्तीय योजनाएं (Chit Funds and Unauthorized Financial Schemes) – चिट फंड और अन्य अनधिकृत वित्तीय योजनाओं पर ये नियम लागू नहीं होते हैं, क्योंकि ये आरबीआई के नियमन के तहत नहीं आते हैं
5. अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थान (International Financial Institutions) – RBI के नियम केवल भारतीय बैंकिंग और वित्तीय संस्थानों पर लागू होते हैं, इसलिए अंतरराष्ट्रीय बैंकों और वित्तीय संस्थानों पर ये नियम लागू नहीं होंगे, जब तक कि वे भारतीय रिज़र्व बैंक के अंतर्गत न आते हों
6. क्रेडिट को-ऑपरेटिव सोसाइटीज (Credit Cooperative Societies) – ये संस्थान पूरी तरह से RBI के दायरे में नहीं आते, इसलिए इन पर भी ये नियम सीधे तौर पर लागू नहीं होते हैं।
लोन धारकों को मिलने वाले लाभ :
1. EMI भुगतान में लचीलापन – यदि कोई ग्राहक समय पर EMI नहीं भर पाता है, तो बैंक उसे लचीले भुगतान विकल्प देंगे, जिससे वे अपनी वित्तीय स्थिति के अनुसार लोन चुकाने में सक्षम हो सकें।
2. पेनल्टी में छूट – देरी से EMI चुकाने पर पेनल्टी का बोझ कम किया गया है। नए नियमों के अनुसार, बैंकों को उचित पेनल्टी ही लगाने की अनुमति है, जिससे ग्राहकों को अनावश्यक आर्थिक बोझ से राहत मिलेगी।
3. लोन रिस्ट्रक्चरिंग – आर्थिक संकट के समय, ग्राहक अपने लोन की शर्तों को दोबारा व्यवस्थित (रिस्ट्रक्चर) करवा सकते हैं। इससे EMI राशि कम करने या पुनर्भुगतान की अवधि बढ़ाने का विकल्प मिल सकता है।
4. क्रेडिट स्कोर पर कम असर – EMI में देरी होने पर बैंक ग्राहकों को पहली बार के लिए पेनल्टी माफ करने या क्रेडिट स्कोर पर नकारात्मक प्रभाव कम करने का प्रयास करेंगे, ताकि ग्राहकों का क्रेडिट स्कोर ज्यादा प्रभावित न हो
5. ग्रेस पीरियड (Grace Period) – कई मामलों में, बैंक ग्राहकों को EMI भरने के लिए अतिरिक्त समय (ग्रेस पीरियड) दे सकते हैं, जिससे वे अस्थायी वित्तीय संकट से उबर सकें।
ये लाभ लोन धारकों के लिए वित्तीय संकट के समय सहायक साबित होंगे और उन्हें अस्थिर आर्थिक स्थितियों से उबरने में मदद करेंगे।
निष्कर्ष
मुझे आशा है की आपको यह आर्टिकल पसंद और अच्छा लगा होगा, इस आर्टिकल मे हमने आपको लोन की EMI नही भर पाने वालों को RBI के फैसले ‘ के बारे मे सम्पूर्ण जानकारी देने की कोशिश की है।
विशेष:-
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Note :-
यह सारी जो भी जानकारी आपको प्रोवाइड की जा रही है वह सोशल मीडिया और इंटरनेट के द्वारा हमारी वेबसाइट से एक आर्टिकल पोस्ट के माध्यम से दी जा रही है।
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