भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का संबंध डाटा के संकलन या प्रसंस्करण से है जो स्थानों से संबन्धित है | भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी संदर्भ का प्रयोग आधुनिक उपकरणों, जो भौगोलिक मानचित्रण, धरती और मानव समाज के विश्लेषण में सहयोग कर रहे हैं, की रेंज का वर्णन करने हेतु किया जाता है | भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी स्वयं में सुदूर संवेदन व उपग्रह डाटा के कई क्षेत्र समेटे है तथा इनकी क्षमता के अनुप्रयोग को ज्ञानाधार पैदा करने तथा हमारे जीवन की दैनिक आवश्यकताओं को पूरा करने हेतु सूचना का आदान प्रदान करने में प्रयोग किया जाता है | भू-स्थानिक डाटा की क्षमता का दोहन करने हेतु, उपकरणों के विकास व उनके शक्तिवर्धन, प्रौद्योगिकी व कुशल विशेषज्ञता के साथ ही डिजिटल प्रारूप में सूचनाओं के आउटपुट को धरातलीय स्तर पर उपयोगकर्ताओं तक पहुंचाने पर प्रमुखता से बल दिया जाता है |
संसाधन/उपलब्ध सुविधाएं :-
- एक डाटा बैंक जिसमें विभिन्न प्रकार के मानचित्र, स्थलाकृतिक शीट्स सहित, हवाई चित्र तथा उपग्रह डाटा संकलित है, जिसका प्रयोग केंद्र की स्थापना के समय से ही विभिन्न परियोजनाओं में किया जाता रहा है |
- विभिन्न पूरी हुई परियोजनाओं से प्राप्त डिजिटल डाटाबेस |
- विभिन्न उपयोगकर्ता विभागों (सरकारी/निजी/शिक्षण संस्थानों) को उनकी आवश्यकतानुसार समानुपातिक आधार पर निर्धारित प्रारूप में डाटा प्रदान करना |
- भू-स्थानिक डाटा प्रभाग आरएसएसी-यूपी तथा एनआरएससी हैदराबाद के वैज्ञानिकों के मध्य राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय उपग्रहों से अन्तरिक्ष जनित डाटा प्राप्त करने हेतु एक इंटरफेस की तरह काम कर रहा है |
भविष्य के अध्ययन हेतु निम्नलिखित प्रबल क्षेत्रों को चिन्हित किया गया है :-
- उत्तर प्रदेश की मरणासन्न नदियों का पुनः प्रवर्तन
- सिंधु गंगा के मैदानों में पालियो हाइड्रोलोजिकल अध्ययन
- हिमनदों की उभरती हुई घटनाएँ तथा हिमनद झील के हिमालय में बाढ़ के कारण फटने की निगरानी
केंद्र का डाटा बैंक सर्वे ऑफ इंडिया के स्थलाकृतिक मानचित्रों के रूप में प्राथमिक डाटा का संग्रह है जिसे आधारभूत सूचना तैयार करने हेतु प्रयोग किया जाता है, जबकि हवाई चित्रों व अन्तरिक्ष जनित डाटा का प्रयोग सूचनाओं के द्वितीयक स्रोत के रूप में विषयगत लेयर्स उत्पन्न करने में किया जाता है, यह केंद्र की बहुत सी वैज्ञानिक परियोजनाओं हेतु बहुत आवश्यक है | अनेकों परियोजनाओं की आवश्यकताओं की पूर्ति करने के लिए केंद्र की स्थापना के समय से ही एक डाटा बैंक की स्थापना की गई थी | यह डाटा बैंक 11517, हार्ड कॉपी के रूप में, एसओआई–स्थलाकृतिक शीट्स, जिसमें 335 डिजिटल स्थलाकृतिक मानचित्र, लगभग 39170 हवाई चित्र साथ ही साथ (एफ़सीसी – 5767, डिजिटल डीवीडी 3741 डाटा) तथा लगभग 9508 उपग्रह डाटा का संग्रह है |
- भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मृतप्राय: हिंडन नदी का उच्चीकरण व पुन: प्रवर्तन (उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रायोजित परियोजना)
- उत्तराखंड, हिमालय के चमोली जनपद में सतोपंथ-भागीरथ खड़क हिमनदों की दीर्घावधि निगरानी (डीएसटी –जीओआई प्रायोजित परियोजना)
- पंचायती राज संस्थानों को स्थानिक रूप से सशक्त बनाना (ईपीआरआईएस) – एनआरएससी, हैदराबाद द्वारा प्रायोजित परियोजना
- एनआरएससी –एलयूएलसी परियोजना – 50 के मानचित्रण – पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 34 जनपदों हेतु तृतीय चक्रीय परियोजना – एनआरएससी, हैदराबाद द्वारा प्रायोजित
पूर्ण परियोजनाएँ
हिमालय में ग्लेशियोलोजिकल अन्वेषण
हाल ही में पूर्ण हुई वैज्ञानिक परियोजनाएं
- उत्तराखंड, हिमालय के चमोली जनपद में सतोपनाथ-भागीरथ खड़क हिमनदों की दीर्घावधि निगरानी डी एस टी हिमनद परियोजना)
- हिमालय क्षेत्र में फ़ेज़ –ii में बर्फ़ व हिमनदों की निगरानी (एसएसी, आईएसआरओ परियोजना)
पूर्ण वैज्ञानिक परियोजनाएं :
- ऑप्टिकल सुदूर संवेदन व जीआईएस प्रौद्योगिकी की सहायता से बढ़ते हुए हिमनदों की गतिकी की निगरानी – (डीएसटी – बढ़ते हुए हिमनदों की परियोजना)
- उत्तराखंड, हिमालय में गंगोत्री, सतोपंथ – भागीरथ खड़क हिमनदों के हिमाच्छादन में विविधता का ऑप्टिकल व माइक्रोवेव सुदूर संवेदन द्वारा अध्ययन – बर्फ़ की श्रेणी में विविधता तथा उनसे निकलने वाली नदियों पर उसके प्रभाव के मापन का एक प्रयास (डीएसटी – गंगोत्री-सतोपंथ हिमनद परियोजना)
- भारतीय हिमालय क्षेत्र में उपग्रह सुदूर संवेदन के माध्यम से हिमाच्छादन के स्थानिक व फैलाव में विविधता की निगरानी” – (डी एस टी – हिमाच्छादन परियोजना)
- “उत्तराखंड के गंगोत्री हिमनद क्षेत्र में हिमाच्छादन में विविधता की निगरानी में सुदूर संवेदन की भूमिका” - हिमनदीय जल विज्ञान पर इसके प्रभाव का आकलन और पिघले पानी के परिणामस्वरूप वर्णक्रमीय प्रतिक्रिया (डी एस टी – गंगोत्री हिमनद परियोजना फेज-II )
- हिमालयीन हिमनदों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव (डब्ल्यूडब्ल्यूएफ-यूएनडीपी परियोजना)
- हिमाच्छादन में विभिन्नता का आंकलन, बर्फ़ की श्रेणी में अंतर तथा हिमालय के हिमाच्छादित क्षेत्रों के एक भाग में इलाके की विशेषताएँ – सुदूर संवेदन तथा जी आई एस तकनीक का प्रयोग करते हुए संभव तथा सुलभ गलियारों को चिन्हित करने का एक प्रयास (एसएएसई, डीआरडीओ परियोजना)
- आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे (यूपीडा – उत्तर प्रदेश सरकार की परियोजना)
- उत्तर प्रदेश राज्य की प्रमुख नदियों में गाद भरने की दर की स्थानिक निगरानी तथा रिमोट सेंसिंग व जीआईएस तकनीकों का उपयोग करके बाढ़ की घटनाओं के प्रेरक कारक को कम करने हेतु रणनीतियां लागू करने का प्रयास (शारदा तथा घाघरा नदी बेसिन परियोजना, उत्तर प्रदेश सरकार की परियोजना)
- रिमोट सेंसिग तथा जीआईएस प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जनपद में शारदा नदी की गतिकी की निगरानी, बाढ़ स्थिति तथा भू-अभियांत्रिकी का आंकलन” (सिंचाई विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार की परियोजना)
- उत्तरांचल हिमालय के विष्णु प्रयाग में अलकनंदा नदी बेसिन के ऊपरी भाग में बर्फ़ के पिघलने का सुदूर संवेदन डाटा
- उत्तरांचल हिमालय में सुदूर संवेदन डाटा तथा परंपरागत प्रणालियों का एकीकरण कर भागीरथी नदी घाटी में बर्फ़ के पिघलने का अध्ययन
- उत्तरकाशी जनपद उत्तराखंड में भटवारी के पश्चिम में स्थित ड्यारा बुग्याल क्षेत्र में हिमाच्छादन व इलाके की विशेषताओं के आंकलन हेतु सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रयोग – ड्यारा बुग्याल क्षेत्र को शीतकालीन क्रीड़ा रिसोर्ट के रूप में विकसित करने हेतु संभावना का आंकलन करता हुआ अध्ययन
पूर्ण हो चुकी वैज्ञानिक परियोजनाएं :
- ऑप्टिकल सुदूर संवेदन व जी आई एस प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए भारतीय हिमालय में बढ़ते हुए हिमनदों की गतिकी की निगरानी
- उत्तराखंड, हिमालय में गंगोत्री, सतोपंथ – भागीरथ खड़क हिमनदों के हिमाच्छादन में विविधता का ऑप्टिकल व माइक्रोवेव सुदूर संवेदन द्वारा अध्ययन – बर्फ़ की श्रेणी में विविधता तथा उनसे निकलने वाली नदियों पर उसके प्रभाव के मापन का एक प्रयास
- उपग्रह सुदूर संवेदन के माध्यम से भारतीय हिमालय में हिमाच्छादन के स्थानिकीकरण व फैलाव में विविधता की निगरानी
- उत्तराखंड हिमालय के गंगोत्री हिमनद क्षेत्र में हिमाच्छादन में विविधता की निगरानी में सुदूर संवेदन की भूमिका - ग्लेशियल जलविज्ञान और परिणामस्वरूप पिघले पानी की वर्णक्रमीय प्रतिक्रिया पर इसका प्रभाव आंकलित करने हेतु एक प्रयास
- हिमालयीन हिमनदों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
- हिमाच्छादन में विभिन्नता का आंकलन, बर्फ़ की श्रेणी में अंतर तथा हिमालय के हिमाच्छादित क्षेत्रों के एक भाग में इलाके की विशेषताएँ – सुदूर संवेदन तथा जी आई एस तकनीक का प्रयोग करते हुए संभव तथा सुलभ गलियारों को चिन्हित करने का एक प्रयास
- उत्तराखंड, हिमालय में भागीरथी बेसिन में सुदूर संवेदन व जीआई एस प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए ग्लेशियल इनवेंटरी
- उत्तरकाशी जनपद उत्तराखंड में भटवारी के पश्चिम में स्थित ड्यारा बुग्याल क्षेत्र में हिमाच्छादन व इलाके की विशेषताओं के आंकलन हेतु सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रयोग – ड्यारा बुग्याल क्षेत्र को शीतकालीन क्रीड़ा रिसोर्ट के रूप में विकसित करने हेतु संभावना का आंकलन करता हुआ अध्ययन
उत्तरांचल में कुमाऊँ तथा गढ़वाल के भूस्खलन के खतरों वाले क्षेत्रों का मानचित्रण
- उत्तराखंड, कुमाऊँ के नैनीताल जनपद में भूस्खलन के खतरों वाले क्षेत्रों का मानचित्रण- उत्तराखंड के उत्तरकाशी जनपद गढ़वाल में गंगनानी- पुराली-गंगोत्री-गोमुख तीर्थयात्रा मार्ग पर भूस्खलन खतरों के क्षेत्र/संदिग्ध क्षेत्रों का मानचित्रण
- उत्तराखंड के कुमाऊँ हिमालय क्षेत्र में भूस्खलन के खतरों वाले क्षेत्रों का मानचित्रण
बिहार तथा उत्तर प्रदेश के विशाल क्षेत्र में फैले गंगा के मैदानों में नदी संबंधी अध्ययन
- रिमोट सेंसिग तथा जीआईएस प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए उत्तर प्रदेश के पीलीभीत जनपद में शारदा नदी की गतिकी की निगरानी, बाढ़ स्थिति तथा भू-अभियांत्रिकी का आंकलन
- उत्तर प्रदेश की प्रमुख नदियों में गाद भरने तथा पर्यावरणीय पतन का आंकलन – प्रेरण कारकों तथा रणनीतियों को समझने का एक प्रयास
- उपग्रह चित्रावली के माध्यम से गंगा नदी के व्यवहार को समझने का प्रयत्न तथा पटना, बिहार में प्रस्तावित रेल पुल
- गंगा नदी में तलछट के भार की स्थानिक निगरानी तथा बाढ़ की स्थिति का आंकलन
मध्य प्रदेश में भूजल संभावनाओं का मानचित्रण
- मध्य प्रदेश के रायसेन जनपद में राजीव गांधी राष्ट्रीय पेय जल मिशन का भू जल संभावना मानचित्रण में प्रयोग
एकीकृत प्राकृतिक संसाधन अध्ययन
- उत्तराखंड के चमोली जनपद में डाटा बेस जनरेशन व नियोजन हेतु जीआईएस आधारित सतत विकास सूचना प्रणाली
राष्ट्रीय (प्राकृतिक) संसाधन सूचना प्रणाली
- कानपुर देहात जनपद का हाइड्रोजिओमोर्फोलोजिकल मानचित्रण
- कानपुर नगर जनपद का हाइड्रोजिओमोर्फोलोजिकल मानचित्रण
गत वर्षों में पूर्ण हुई ग्लेशिओलोजी परियोजनाएं
- उत्तरांचल हिमालय के विष्णु प्रयाग में अलकनंदा नदी घाटी के ऊपर की ओर बर्फ़ के पिघलने का सुदूर संवेदन अध्ययन
- उत्तरांचल हिमालय में सुदूर संवेदन डाटा तथा परंपरागत प्रणालियों का एकीकरण कर भागीरथी नदी घाटी में बर्फ़ के पिघलने का अध्ययन
- उत्तरकाशी जनपद उत्तराखंड में भटवारी के पश्चिम में स्थित ड्यारा बुग्याल क्षेत्र में हिमाच्छादन व इलाके की विशेषताओं के आंकलन हेतु सुदूर संवेदन प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रयोग – ड्यारा बुग्याल क्षेत्र को शीतकालीन क्रीड़ा रिसोर्ट के रूप में विकसित करने हेतु संभावना का आंकलन करता हुआ अध्ययन
- हिमालयीन हिमनदों पर जलवायु परिवर्तन का प्रभाव
- उत्तराखंड हिमालय के गंगोत्री हिमनद क्षेत्र में हिमाच्छादन में विविधता की निगरानी में सुदूर संवेदन की भूमिका - ग्लेशियल जलविज्ञान और परिणामस्वरूप पिघले पानी की वर्णक्रमीय प्रतिक्रिया पर इसका प्रभाव आंकलित करने हेतु एक प्रयास
- हिमाच्छादन में विभिन्नता का आंकलन, बर्फ़ की श्रेणी में अंतर तथा हिमालय के हिमाच्छादित क्षेत्रों के एक भाग में इलाके की विशेषताएँ – सुदूर संवेदन तथा जी आई एस प्रौद्योगिकी का प्रयोग करते हुए संभव तथा सुलभ गलियारों को चिन्हित करने का एक प्रयास -
- खनन गतिविधियों का प्रभाव तथा पर्यावरण पर सुपर थर्मल पावर स्टेशन (देहरादून मसूरी खनन पट्टी क्षेत्र)
- उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जनपद में मौदहा बांध जलग्रहण क्षेत्र व कमांड क्षेत्र में पर्यावरणीय प्रभाव का आंकलन
- पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 24 जनपदों में कृषि –पूर्व गेहूं के क्षेत्र का आंकलन (रबी 1989-90)
- लैंड सैट डाटा का प्रयोग करते हुए टिहरी बांध जल ग्रहण क्षेत्र में भूमि क्षरण व वन पतन आंकलन
- उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर व सोनभद्र जनपद में बंजर भूमि का मान चित्रण
- उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जनपद में वनाच्छादन का मानचित्रण
- सतत विकास हेतु एकीकृत मिशन (आईएमएसडी)
- राष्ट्रीय (प्राकृतिक) संसाधन सूचना प्रणाली (एनआरआईएस)
- उत्तर प्रदेश में सोडियम प्रभावित भूमि सुधार( पुष्प तथा पशु विविधता व सुधार के पांचवें वर्ष में सोडियम युक्त मृदा के कुछ क्षेत्रों में माइक्रोबियल बायोमास)
- उत्तर प्रदेश के विंध्य क्षेत्र व तराई क्षेत्र में वनों की निगरानी व आंकलन
- सोनभद्र में जी आई एस पायलट स्टडी
- राष्ट्रीय बंजर भूमि इनवेंटरी व आंकलन (एनडब्ल्यूआईए)
- वन मात्रा मानचित्रण व मात्रा आंकलन (एफएसएमवीई)
- वन भूमि में आवासीकरण का चिन्हीकरण (आईएफएचएल)
- डाला सीमेंट फैक्ट्री, डाला सोनभद्र जनपद के लिए खनन की पट्टे पर दी जाने वाली छे साइट्स की पर्यावरणीय दशाओं का आंकलन करने हेतु डिजिटल डाटाबेस तैयार करना |
- विकेंद्रीकृत नियोजन हेतु अन्तरिक्ष आधारित सूचना सपोर्ट (एस आई एस- डी पी) – एनआरएससी, हैदराबाद द्वारा प्रायोजित परियोजना (2011-2016)
- एन आर एस सी –एल यू एल सी परियोजना -50 हज़ार मानचित्रण – द्वितीय साइकिल एनआरएससी, हैदराबाद द्वारा प्रायोजित (2011-12)
- उत्तर प्रदेश के झीलों/पक्षी विहारों में पुष्प व पशु जैव विविधता का आंकलन, यूपीएसबीबी, लखनऊ द्वारा प्रायोजित (2013-2014)
- उपयोगकर्ता विभाग अध्ययन – मथुरा तेलशोधन कारख़ाना हरित पट्टी मानचित्रण
- लखनऊ-आगरा एक्सप्रेसवे के 100 मीटर बफ़र के साथ एलयूएलसी – यूपीडा परियोजना