नवंबर, 2012 में सेंटर का सर्फेस वॉटर रिसोर्सेंज डिविजन अस्तित्व में आया। पूर्व में इन डिविजन को जियोफिजिकल एक्सप्रोरेशन डिविजन के नाम से जाना जाता था, जिसके बाद ग्राउंडवॉटर एक्सप्लोरेशन डिविजन नाम से और काफी लंबे समय तक यह जिला मुख्यालय, झांसी, यूपी में स्थित रहा। यह डिविजन भूजल अन्वेषण एवं बुंदेलखंड के आकाल प्रभावित क्षेत्रों में एवं चट्टानी इलाके के प्रबंधन में, आगरा-मथुरा के खारा-प्रभावित क्षेत्रों में एवं उत्तर प्रदेश के अन्य हिस्सों एवं अन्य राज्यों की शुरुआत से सम्मिलित रहा है। मार्च, 1997 में, डिविजन ने जल संसाधन डिविजन-I के रूप में कार्य करना शुरु किया एवं पश्चिमी उत्तर प्रदेश के आगरा, बरेली, मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर एवं कानपुर के राजस्व डिविजनों में जल संसाधन गतिविधियों में भी सम्मिलित रहा है और साथ ही राज्य के कुछ अन्य क्षेत्रों में कुछ प्रमुख परियोजनाओं को भी पूरा किया। भूजल अन्वेषण के अतिरिक्त उपलब्ध ऑनबोर्ड इण्डियन रिमोट सेंसिंग सेटलाइट (आईआरएस) सीरीज़ एवं विभिन्न सेंसेर एवं जियोग्राफिकल इंफॉर्मेशन सिस्टम (जीआईएस) को सेटलाइट द्वारा कार्यरत करना के साथ अन्य सेटलाइट रिमोट सेंसिंग एवं जियोफिजिकल तकनीकों, हाईड्रोजियोमॉर्फोलॉजी की मैपिंग, जियोलॉजी, जलभराव भूमी, बाढ़ अनुश्रवण आदि का इस्तेमाल। यह डिविजन पर्यावरणीय प्रभाव आकलन, जियोस्टेटिस्टिकल मॉडलिंग, बेस लाइन डाटा जनरेशन, कृत्रिम रिचार्ज अध्ययन, भू-उपयोग/लैण्ड कवर मैपिंग, कडस्ट्रल संसाधन मैपिंग, जीपीएस सर्वेक्षण, आर एण्ड डी अध्ययन, प्रशिक्षण कार्यक्रम आदि कार्यों में भी सम्मिलित रहा है। विभिन्न परियोजनाओं में विभिन्न एकीकृत अध्ययन हेतु यह डिविजन सेंटर के अन्य डिविजनों के साथ भाग लेकर भी कार्य किया है। अब क्योंकि यह एक नए डिविजन के रूप में सृजित हुआ है, तो यह डिविजन सतही जल संसाधन गतिविधियों अर्थात बाढ़ सैलाब मानचित्रण, सतही जल निकायों की मैपिंग एवं जलमग्न क्षेत्रों आदि के कार्यों में सम्मिलित है। यूटिलिटी मैपिंग, एकीकृत जल प्रबंधन कार्यक्रम, भूजल अन्वेषण एवं संबंधित अध्ययन की परियोजनाओं के कार्य भी प्रगति पर है।
1. शीर्षक: उत्तर प्रदेश में बाढ़ एवं आकाल का अनुश्रवण एवं बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में विस्तृत बाढ़ प्रबंधन अध्ययन।
फंडिंग एजेंसी : प्लान परियोजना (सेंटर की इनहाउस गतिविधियां)
समय : वित्तीय वर्ष 2017-18
अध्ययन क्षेत्र : गोरखपुर, बलिया जिला एवं उत्तर प्रदेश के संपूर्ण जिले
उद्देश्य:
- उत्तर प्रदेश में बाढ़ एवं आकाल का अनुश्रवण
- उत्तर प्रदेश की नदियों में बाढ़ के कारण नदी कटाव का अध्ययन
- गोरखपुर एवं बलिया जिजा में विस्तृत बाढ़ प्रबंधन अध्ययन
- बलिया जिले की नदी में पूर्व बाढ़ चेतावनी संबंधित अध्ययन
अपेक्षित परिणाम : परियोजना का कार्य प्रगति पर है एवं परिणाम परियोजना के अंत में देखने को मिलेंगे। यह अपेक्षित किया जा रहा है कि सृजित डाटा आकाल/बाढ़ तैयारी एवं प्रबंधन में सहायक साबित होगा।
आंतरिक निष्कर्ष : अध्ययन प्रगति पर है
नियमित मानव संसाधन सम्मिलित : एक
2. शीर्षक : हाई रिजॉल्यूशन रिमोट सेंसिंग, जीआईएस एवं जीपीएस तकनीक का इस्तेमाल कर गोरखपुर एवं महाराजगंज जिलों में चयनित स्मार्ट विलेजेज़ की प्राकृतिक संसाधन एवं इंफ्रास्ट्रक्चर मैपिंग N
फंडिंग एजेंसी : प्लान परियोजना (सेंटर की इनहाउस गतिविधियां)
समय : एक वर्ष (1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018)
अध्ययन क्षेत्र : गोरखपुर एवं महाराजगंज, उत्तर प्रदेश से आदर्श ग्राम
उद्देश्य : क्षतिग्रस्त एवं टूटी सभी प्रकार की रोड (मेटल एवं गैर-मेटल) का मानचित्रण, सभी पेयजल स्त्रोतों का मानचित्रण एवं पाइपलाइन जलापूर्ति हेतु योजनाओं का सुझाव दिया जाएगा, सार्वजनिक संस्थाओं-आंगनबाड़ी, विद्यालयों, स्वास्थ्य संस्थाओं, ग्राम पंचायत कार्यालय, सामुदायिक हॉल, एसएचजी (सेल्फ हेल्प ग्रुप) फेडरेशन हेतु भवन, क्रीड़ास्थल, पीडीएस (पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन सिस्टम) आउटेलेट, ग्राम मार्केट, बैंक/पोस्ट ऑफिस/एटीएम हेतु इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार एवं यूआईडीएआई कार्ड, का प्रावधान, सिंचित एवं असिंचित भूमि का मानचित्रण, असिंचित भूमि हेतु सुझाव योजना, कडस्ट्रल मैप पार्सल वाइज का अपडेशन, भूमि एवं जल संरक्षण एक्शन प्लान की तैयारी
अपेक्षित परिणाम : परियोजना प्रगति पर है, परियोजना के अंत में परिणाम दिखेंगे। यह अपेक्षित है कि हाई रिजॉल्यूशन सेटलाइट डाटा का इस्तेमाल कर सृजित मैप सभी ग्राम स्तर को उपयोगिताओं का दिखाएगा।
आंतरिक निष्कर्ष: संबंधित गांवों में विकसित गतिविधियों को मैप दिखाएगा।
नियमित मानव-संसाधन सम्मिलित: एक
3. शीर्षक: हाई रिजॉल्यूशन सेटलाइ डाटा का इस्तेमाल कर लखनऊ एवं गोरखपुर जिलों में सतही जल संसाधन की मैपिंग
फंडिंग एजेंसी : प्लान परियोजना (सेंटर की इन-हाउस गतिविधियां)
समय: एक वर्ष (1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018)
अध्ययन क्षेत्र : गोरखपुर एवं लखनऊ जिला
उद्देश्य : हाई रिजॉल्यूशन सेटलाइट डाट एवं फील्ड सर्वेक्षण का इस्तेमाल कर सतही जल संसाधनों का अनुश्रवण
अपोक्षित परिणाम : परियोजना का कार्य़ प्रगति पर है एवं परिणाम परियोजना के अंत में दिखेंगे। यह अपेक्षित है कि सृजित डाटा आकाल/बाढ़ तैयारी एवं प्रबंधन में उपयोगी साबित होगा।
आंतरिक निष्कर्ष : सृजित मैप इन जिलों में सतही जल निकाय को दिखाएगा।
नियमित मानव संसाधन सम्मिलित: One
4. शीर्षक : मोबाइल लिडार तकनीकों का इस्तेमाल कर मथुरा, काशी, झांसी एवं गोरखपुर जिलों की रोड के चौड़ीकरण हेतु सर्वेक्षण
फंडिंग एजेंसी: प्लान परियोजना (सेंटर की इन-हाउस गतिविधियां)
समय : एक वर्ष (1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018)
अध्ययन क्षेत्र: मथुरा, काशी, झांसी एवं गोरखपुर
उद्देश्य : मोबाइल लिडार तकनीकों का इस्तेमाल कर रोड के चौड़ीकरण हेतु सर्वेक्षण
अपेक्षित परिणाम : परियोजना का कार्य़ प्रगति पर है एवं परिणाम परियोजना के अंत में दिखेंगे। यह अपेक्षित है कि सृजित डाटा इन जिलों में रोड चौड़ीकरण संबंधित कार्य हेतु पीडब्लूडी, उत्तर प्रदेश सरकार हेतु लाभदायक साबित होगा।
आंतरिक निष्कर्ष : अध्ययन का कार्य़ प्रगति पर है
नियमित मानव संसाधन सम्मिलित : छः
5. शीर्षक : बाथमेट्री सर्वेक्षण का इस्तेमाल कर नदी, नहर एवं जलाशयों में सिल्ट के आकलन के बाद बाढ़ नियंत्रण अध्ययन
फंडिंग एजेंसी : प्लान परियोजना (सेंटर की इन-हाउस गतिविधियां)
समय : एक वर्ष (1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018)
अध्ययन क्षेत्र : ऊपरी गंगा कनाल
उद्देश्य : ऊपरी गंगा कनाल के 100 किमी हेतु सर्वेक्षण एवं संबंधित मानचित्रण को तैयार करना
अपेक्षित परिणाम : परियोजना का कार्य़ प्रगति पर है एवं परिणाम परियोजना के अंत में दिखेंगे। यह अपेक्षित है कि सृजित डाटा सिंचाई विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार के लिए उपयोगी साबित होगा।
आंतरिक निष्कर्ष : अध्ययन का कार्य प्रगति पर है
नियमित मानव संसाधन सम्मिलित : छः
6. शीर्षक : रिमोट सेंसिंग एवं जियोफिजिकल तकनीकों का इस्तेमाल कर उत्तर प्रदेश के पठार क्षेत्रों में एक्वीफायर मैपिंग अध्ययन
फंडिंग एजेंसी : प्लान परियोजना (सेंटर की इन-हाउस गतिविधियां)
समय: एक साल (1 अप्रैल 2017 से 31 मार्च 2018)
अध्ययन क्षेत्र : मिर्जापुर जिलों के मरीहाऊ ब्लॉक में माइक्रो वॉटरशेड
उद्देश्य :
- अध्ययन क्षेत्र में एक्वीफायर मैपिंग
- अध्ययन क्षेत्र में भूजल का आकलन
- यूजर डिमांड की जरूरतों को पूरी करने हेतु भूजल प्रबंधन एवं भूजल उपलब्धता हेतु अध्ययन।
अपेक्षित परिणाम: भूजल संसाधन के प्रबंधन में स्थानीय प्रशासन एवं लोगों की मांग को पूरा करने में उपयोगी साबित होगा।
आंतरिक निष्कर्ष : अध्ययन प्रगति पर है
नियमित मानव संसाधन सम्मिलित: एक
7. शीर्षक : बुंदेलखंड जिला, भारत के चार जिलों में जल सुरक्षा हेतु आईडब्लूआरएम आधारित विकास प्लान।
फंडिंग एजेंसी : नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाइड्रोलॉजी, रुढकी
समय : (मार्च 2016 से सितंबर 2017)
अध्ययन क्षेत्र : उत्तर प्रदेश का बुंदेलखंड क्षेत्र
उद्देश्य : सेटलाइट डाटा का इस्तेमाल कर विभिन्न मेट्रिक लेयर जैसे, एलयूएलसी को तैयार करने के बाद एवं सतही जल संसाधनों एवं भूजल उपलब्धता के उपयुक्त जल संचयन संरचना का चयन।
अपेक्षित परिणाम:
आंतरिक निष्कर्ष : जल संसाधन एक्शन प्लान को तैयार करना, सतही जल का संरक्षण एवं जल संचयन स्पेसिंग हेतु साइट चयन
नियमित मानव संसाधन सम्मिलित: तीन
8.शीर्षक : जियोस्पाटियल तकनीकों का इस्तेमाल कर एकीकृत वॉटरशेड प्रबंधन प्रोग्राम का अनुश्रवण
फंडिंग एजेंसी : नेशनल रिमोट सेंसिंग सेंटर, हैदराबाद
समय : (मार्च 2017 से 31 मार्च 2020)
अध्ययन क्षेत्र : संपूर्ण उत्तर प्रदेश
उद्देश्य : 2009-10 से 2014-15 तक स्वीकृत परियोजनाओं हेतु उत्तर प्रदेश राय्ज हेतु आईडब्लूएमपी परियोजना का अनुश्रवण एवं आकलन की परिकल्पना। प्रत्येक परियोजना, हाई रिजॉल्यूशन सेटलाइट डाटा एलआईएसएस-IV एवं कार्टोसेट का प्रसंग शामिल है; एसआईएस-डीपी डाटाबेस पर वॉटरशेड बाउंड्री का सुधार/बेहतर ट्यूनिंग; एलयूएलसी मैप, एनडीवीआई मैप का सृजन, परियोजना में परिवर्तन का पता लगाने को दिखाना, सुझाव प्रारूप में वर्ष-वार प्रत्येक परियोजना क्षेत्र हेतु सीमित ग्राउंड सत्य एवं रिपोर्ट सृजन।
अपेक्षित परिणाम : आईडब्लूएमपी परियोजना हेतु वर्षवार स्टेटस रिपोर्ट को तैयार करना एवं साथ ही स्टेटिक्स, स्टेटिक के साथ संशोधित आकलन एवं क्रॉस मैट्रिक्स टेबल, मैप क्मोपजिशेन, विशिष्ट परिवर्तन की प्वाइंट वेक्टर लेयर शोइंग लोकेशन के साथ जिटोडाटाबे फॉर्मेट में प्रत्येक परियोजना हेतु पांच साल रखरखाव हेतु सही माइक्रो वॉटरशेड/प्रोजेक्ट बाउंड्रीज़, आईडब्लूएमपी परियोजना वार लायूएलसी मैप सम्मिलित।
आंतरिक निष्कर्ष : परियोजना का कार्य प्रगति पर है एवं परिणाम एनआरएससी, हैदराबाद को सौंपे जाएंगे
नियमित मानव संसाधन सम्मिलित: चार
विषयवस्तु शीघ्र ही उपलब्ध हो जाएगी।